UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 सच्ची वीरता (मंजरी) पाठ का सार…
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पाठ का सार (सारांश) सच्चे वीर पुरुष धीर, गम्भीर और स्वतन्त्र होते हैं। वीरता की अभिव्यक्ति कई प्रकार की होती है। कुछ वीर युद्ध में वीरता दिखाते हैं तो कुछ गूढ़तत्व और सत्य की खोज में बुद्ध की तरह विरक्त होकर वीर हो जाते हैं। वीरता एक प्रकार की अन्त:प्रेरणा है। उसके दर्शन करके लोग अचम्भित हो जाते हैं। वीर पुरुष सबके साथ एकीकृत हृदय वाला और सबका होता है। यह देवदार के वृक्ष की भाँति स्वयं पैदा होकर, दूसरों को सहारा देने के लिए खड़ा हो जाता है। इसके प्रतिकूल बुजदिल (कायर लोग) जीवन को सब कुछ समझकर पीछे हटते रहते हैं।
वे गरजने वाले बादल हैं जो कभी बरसते नहीं। वीर पुरुष बरसने वाले बादल होते हैं जो मूसलाधार वर्षा करके चले जाते हैं। | वीर पुरुष का शरीर शक्ति का भंडार होता है। वीरों की नीति बल एकत्र करके उसकी वृद्धि में लगी होती है। वह वीर नहीं जो टीन के बर्तन की तरह झट से गर्म और ठण्डा हो जाए।
सत्य की सदा जीत होती है। यह वीरता का चिह्न है। जहाँ पवित्रता, प्रेम, धर्म और अटल आध्यात्मिक नियम हैं, वहीं जीत है। वीरता का प्रभाव पड़ता है परन्तु दिखावे के कारण लोग वीर नहीं बन पाते। टीन के बर्तन का स्वभाव छोड़कर हमें सच्चाई के रास्ते पर दृढ़ हो जाना चाहिए। हमें जीवन की गहराई में घुसकर नए रंग खिलाने चाहिए।