UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 20 झाँसी की रानी (मंजरी) पाठ का सर…
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अँग्रेजों का बिगुल रानी के कान में सुनाई दिया। तोपों का धड़ाका हुआ। सूर्य निकल चुका था। रानी ने रामचन्द्र देशमुख को आदेश दिया- दामोदर को मेरी पीठ पर बाँधो। इसको सुरक्षित दक्षिण पहुँचा देना। ध्यान रखना अँग्रेज सैनिक मेरी देह को न छू पाएँ। रानी ने जूही को तोपखाने पर जाने के लिए कहा। फिर घोड़े को एड़ लगाई। रानी पूरब की ओर झपटी। रानी के रण कौशल के मारे अँग्रेज जनरल थर्रा गए। रानी के पीछे पैदल सैनिक थे। रानी धीरे-धीरे पश्चिम-दक्षिण की ओर अपनी सेना से मिलने के लिए मुड़ी। दाँतों में लगाम थामकर रानी ने दोनों हाथों से तलवार चलाकर अपना मार्ग बनाया।
दक्षिण-पश्चिम की ओर सोनरेखा नाला था। मुन्दर रानी के साथ थी। रघुनाथ सिंह, रामचन्द्र देशमुख और बीस-पच्चीस लाल कुर्ती सवार रानी को घेरे थे। अँग्रेज घेरे को कम करते जा रहे थे। उसी समय तात्या ने रूहेली और अवधी सैनिकों की मदद से अँग्रेजों के व्यूह पर प्रहार कर दिया। अँग्रेज रानी को छोड़कर तात्या की ओर मुड़ गए। सूर्यास्त होने में कुछ देर थी। रानी के साथ केवल चार सरदार और उनकी तलवारें रह गईं। रामचन्द्र देशमुख, दामोदरराव की रक्षा की चिन्ता में बचाव करके हेड रहा था। रानी ने देशमुख की सहायता के लिए मुन्दर की ओर इशारा किया और स्वयं एक संगीनबर । को मारकर आगे बढ़ी।
आठ-दस गोरे सवार रानी के पीछे थे। रानी ने कहा “मेरे शरीर को अँग्रेज न छूने पाएँ।” गुलमुहम्मद ने समझ लिया। वह और भी जोर से लड़ा। “बाई साहब, मैं मेरी” शब्दों के साथ एक अँग्रेज की पिस्तौल से मुन्दर का अन्त हो गया। रघुनाथ सिंह मुन्दर के शव को पीठ पर कसकर घोड़े पर सवार होकर आगे बढ़ा। रानी तेजी के साथ सोनरेखा नाले पर आ गई। घोड़ा अड़ गया। नाला पार न हो सकी। अँग्रेज सवार आ पहुँचे। एक गोरे की गोली रानी की बाईं जाँघ में पड़ी। रानी ने आगे बढ़ने के लिए एक पैर से एड़ लगाई। घोड़ी अड़ा रहा और दोनों पैरों से खड़ा हो गया। रानी को पीछे खिसकना पड़ा। अँग्रेज सवार ने गुल मुहम्मद के आ पहुँचने से पहले ही रानी पर वार कर दिया, जिससे उसके सिर का हिस्सा कट गया। गुलमुहम्मद बाकी के दो-तीन सवारों पर टूट पड़ा जो मैदान छोड़कर भाग गए। रामचन्द्र देशमुख ने घोड़े से गिरती रानी को सँभाला। दामोदरराव अपनी माता को घायल अवस्था में देखकर रोने लगा। वे रानी के देह को अँग्रेजों से बचाने के लिए तेज रफ्तार से बाबा गंगादास की कुटी में पहुँच गए।