UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 12 पहरुए सावधान रहना (मंजरी) समस्त…
Answers:
आज जीत की रात ……………………………………………. सावधान रहना।
संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक मंजरी’ के ‘पहरुए सावधान रहना’ कविता से उद्धृत हैं। इसके रचयिता “गिरिजाकुमार माथुर’ हैं।
प्रसंग – प्रस्तुत कविता में कवि ने स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद देश के रक्षक और सीमा के पहरेदारों को देश की सुरक्षा और नव-निर्माण के लिए प्रेरित किया है।
व्याख्या – देश के रक्षक पहरेदारो! आज विजय की रति है। देश की सुरक्षा के लिए सतर्क रहो। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के कारण देश के बैन्द दरवाजे खुल गए हैं। उसमें तुम अंचल दीपक बनकर प्रकाश करो। यह स्क्तन्त्रता नए स्वर्ग को प्राप्त करने की पहली मंजिल है। जनता के आन्दोलन से यह सुनहरा अवसर रत्न से भरी जल तरंग जैसा है। अभी हमें जीवन की समृद्धि व देश के नवनिर्माण के लिए बहुत कुछ करना है। फ्राधीनता से देश की हानि की काली छाया पूरी तरह दूर नहीं हुई है। नए युग की नाव फतवार को लेकर तुम समुद्र के समान महान बनकर देश की सावधानी से रक्षा करो।
विषय श्रृंखलाएँ ……………………………………………. सावधान रहना।
संदर्भ एवं प्रसंग – पूर्ववत्।
व्याख्या – पराधीनता के समय जो विषम परिस्थितियाँ बाधा बनी हुई थीं, अब दूर हो चुकी हैं और हम सब दिशाओं में विचरण करने के लिए स्वतन्त्र हैं। चिरकाल से बँधी हवाएँ अब खुलकर चलने लगी हैं। हमारी अतिक्रमण की गई सीमाएँ प्रश्नचिहन बनकर खड़ी हो गई हैं। पुराने विदेशी शासन की प्रतिमाएँ टूटकर, नए प्रतीक उनकी जगह ले रहे हैं। प्रगति के तूफान को तुम चन्द्रमा की तरह दीप्तिमान होकर आगे बढ़ाओ और सावधानी से देश की सुरक्षा करो।।
ऊँची हुई मशाले ……………………………………………. सावधान रहना।
संदर्भ एवं प्रसंग – पूर्ववत्।
व्याख्या – स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देश की प्रगति के लिए हमें कठिन रास्ते पर चलना है। इस रास्ते को देखने के लिए हमने मशाल ऊँची कर दी है। शत्रु चला गया है परन्तु फिर भी हमें उसकी छाया से सावधान रहना है। शोषण के कारण हमारा समाज मृत और हमारा देश अभावग्रस्त (कमजोर है किन्तु स्वतन्त्रता मिलने पर नए जीवन में हमें प्रगति करना हैं। ऐसा हमारा अटल विश्वास है। जनता . रूपी गंगा में ज्वार आया है (अर्थात् लोगों में नया उत्साह है) और तुम लहर बनकर इसे अच्छी तरह प्रवाह दो। देश के रक्षको! सावधानी से देश की सुरक्षा करो।