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अतिथि देवो भाव: वास्तव मे ये शब्द बहुत ही महत्वपूर्ण है जिसमें अतिथि से तात्पर्य किसी मेहमान से है और देवो भव का अर्थ है देव के समान यानी भगवान के समान. कहने का तात्पर्य है की अतिथि भगवान के समान होता है वास्तव में शुरू से ही हमारे देश में अतिथि को भगवान के समान समझा जाता है. प्राचीन काल से ही जब भी कोई अतिथि किसी के घर आता है तो उसका सम्मान किया जाता है उसको भोजन कराया जाता है और उसके रहने की उचित व्यवस्था की जाती है क्योंकि सभी का कहना है कि अतिथि भगवान के समान होता है.
आजकल के जमाने में भी ये कहावत लागू होती है वास्तव में अतिथि भगवान के समान होता है बदलते जमाने के साथ इंसान बहुत व्यस्त हो गया है लेकिन फिर भी आज हम सभी के घर पर मेहमान जरूर आते है और उनका आतिथ्य करना हमारा कर्तव्य होता है.अतिथि घर पर आता है तो हम सबसे पहले उन्हें पानी पिलाते हैं उसके बाद उन्हें भोजन के लिए पूछते हैं,उनके रहने की उचित व्यवस्था करके अपना कर्तव्य निभाते हैं वास्तव में हमें अतिथियों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि अदिति कभी हमेशा के लिए नहीं आते और जो हमेशा के लिए होते हैं वह कभी अतिथि नहीं होते.
अतिथि जरूर ही किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए आते हैं वह हमारे लिए खुशखबरी लाते हैं और उनकी बात सुनकर हम खुशी से झूम जाते हैं. देवताओं के समान इन अतिथियों का हमें सम्मान करना चाहिए.अतिथि के रुप में कोई भी हो सकते हैं हमारे नजदीकी रिश्तेदार हो सकते हैं या हमारे दूर के रिश्तेदार भी हो सकते हैं. हमें ये ना देखते हुए सिर्फ उनका सम्मान करना चाहिए.
आजकल के जमाने में हम देखें तो मेहमानों के रूप में बहुत सारे फ्रोड लोग भी घर पर आ सकते हैं हमैं इस तरह के लोगों को पहचानना चाहिए.आजकल के जमाने में लोग अतिथियों का बहाना बनाकर घर में घुसकर हमें नुकसान भी पहुंचा सकते हैं हमें इन लोगों से बचना चाहिए.अगर वह कोई अतिथि हैं तो हमारे घर के सदस्य जरूर पहचानते होंगे.हमें चाहिए कि उनकी पहचान होने पर ही घर में दाखिला दें अगर आप उन्हें नहीं जानते तो बहुत ही सावधानी पूर्वक आप अपने घर में प्रवेश कराये और उनका सम्मान करें. वह कैसे भी हो उनका सम्मान जरूर करना चाहिए क्योंकि अतिथि देवों के समान होते हैं.